हाल ही की चर्चित ‘फिल्म ऑल इंडिया रैंक’ के गाने के बोल ‘’अच्छी बातें है सिर्फ किताबों में’’ । भारतीय राजनीति और समाज के विरोधाभास को एक पंक्ति में बयां करते हैं। समाज में जहां गाली देने को गलत समझा जाता है और गलत है भी। लेकिन आप गाली देते हुए बच्चों से यह नहीं कह सकते कि गाली देना गलत है। ऐसा कहने का प्रभाव इतना ही होगा कि बच्चा आपके सामने गाली नहीं बोलेगा। इसी का दूसरा उदाहरण हमारे चुने हुए प्रतिनिधि देते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरु हो गई है। सभी राजनैतिक दल तैयारी में लगे हुए हैं। कुछ दल तैयारी करने की तैयारी कर रहे हैं। और इसी के साथ शुरु हो गई बयानबाजी की परम्परा ।
कौनसे दल का सदस्य कितना भद्दा बयान दे सकता है। इसकी प्रतिस्पर्धा जोरों पर है। पांच साल में आने वाले त्यौहार पर कोई भी राजनैतिक दल इस प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं रहना चाहता। हर दल अपने पिछले चुनाव के प्रदर्शन को बेहतर करने के प्रयास में है। बयानबाजी में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है। स्त्री पुरुष सभी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। अभी तक की यात्रा कपड़ो के रंग, मंडी में भाव, मुस्लिम लीग से होते हुए आधे पाकिस्तान पर पहुंच चुकी है। कार्यक्रम की अभी शुरुआत ही है। इस तरह के कंटेंट की रैंकिंग नहीं होती है। हालांकि यह भी सोचने का विषय है। कहीं यह पश्चिम की कोई साजिश तो नहीं है। पाकिस्तान से बातचीत बंद है पर पता नहीं पाकिस्तान इतना अटेशन सीकर है कि हमें अपने चुनाव में विकास पर फोकस ही नहीं करने देता। हद है और हम इतने बड़े देश के नागरिक पाकिस्तान की इस साजिश को पहचान भी नहीं पाते ।
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